The Return of the Dire Wolves : विलुप्त प्रजातियों को दोबारा जीवित करने की कोशिशें अब सिर्फ कल्पना नहीं, बल्कि प्रयोगशालाओं की सच्चाई बनती जा रही हैं। अमेरिकी बायोटेक कंपनी कोलोसल बायोसाइंसेज ने दावा किया है
कि उसने 13,000 साल पहले विलुप्त हो चुके भयंकर शिकारी “डायर वुल्फ” को फिर से पैदा कर लिया है। लेकिन क्या यह सच में वही जानवर है जो आखिरी बार प्लेइस्टोसिन युग में पृथ्वी पर घूमता था?
गेम ऑफ थ्रोन्स की प्रेरणा बनी प्रजाति
डायर वुल्फ़ (Aenocyon dirus) का नाम आज आम दर्शकों को भी जाना-पहचाना लगता है, खासकर HBO की मशहूर सीरीज “गेम ऑफ थ्रोन्स” की वजह से। लेकिन हकीकत में यह प्रजाति उत्तरी अमेरिका में 13,000 साल पहले विलुप्त हो चुकी थी। यह ग्रे वुल्फ़ से आकार में बड़ा और ताकतवर शिकारी माना जाता था।
कोलोसल की घोषणा और जीन-संपादित पिल्ले
कोलोसल का कहना है कि उसने तीन आनुवंशिक रूप से संशोधित ग्रे वुल्फ़ पिल्ले पैदा किए हैं — रोमुलस, रेमस और खलीसी। इनका जन्म सरोगेट कुत्तों की मदद से हुआ और इन्हें 2,000 एकड़ के एक निजी परिसर में पाला जा रहा है। वैज्ञानिकों ने 14 जीन में 20 विशेष बदलाव किए हैं जिससे ये पिल्ले दिखने में भयंकर भेड़ियों जैसे हों।
हालांकि, कोलोसल खुद मानता है कि ये पिल्ले 100% डायर वुल्फ( Dire Wolves) नहीं हैं। वैज्ञानिक इन जीवों को “फंक्शनल कॉपी” कह रहे हैं — यानी व्यवहार और दिखावट में समान, पर आनुवंशिक रूप से पूरी तरह वही नहीं।
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जीनोम और डीएनए की चुनौतियां
डायर वुल्फ़ का डीएनए 99.5% ग्रे वुल्फ़ से मेल खाता है, पर यह छोटा अंतर भी महत्वपूर्ण हो सकता है। नेचर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, दोनों प्रजातियां 6 मिलियन साल पहले अलग हो चुकी थीं। यानी, सिर्फ मिलती-जुलती दिखावट से कोई पूरी प्रजाति फिर से नहीं लौट आती।
नैतिक और वैज्ञानिक चिंताएं
यह “विलुप्ति उन्मूलन” (de-extinction) की प्रक्रिया सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि नैतिक विवादों से भी घिरी है। क्या किसी प्रजाति को दोबारा लाना उसे “जिंदा” करना है या सिर्फ एक जैविक नकल बनाना? क्या हम पारिस्थितिकीय संतुलन को ठीक कर रहे हैं या फिर से प्रकृति से खेल रहे हैं?
इसके अलावा, इन जानवरों को प्रजनन की अनुमति नहीं है, और इन्हें शिकार करना भी नहीं आता। इसका मतलब है कि ये भविष्य में प्राकृतिक रूप से जीवित नहीं रह सकते।
आगे क्या?
कोलोसल की योजना ऊनी मैमथ जैसे और भी विलुप्त प्रजातियों को दोबारा लाने की है। लेकिन इस प्रक्रिया के पीछे का उद्देश्य — लाभ, विज्ञान, या प्रायश्चित — अभी भी सवालों के घेरे में है।