Menstrual Leave to Female Students in this University : यूनिवर्सिटी की अधिसूचना के अनुसार सिक्किम विश्वविद्यालय ने बहुत ही अहम कदम उठाया है जिसमें महिलाओं की सेहत और सुविधा को प्राथमिकता दी गई है सिक्किम यूनिवर्सिटी में छात्राओं को एक दिन की मेंस्ट्रूअल लीव (Menstrual Leave) देने की घोषणा की है
इसके लिए सिक्किम यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन काफी दिनों से इसकी मांग कर रहे थे और यह नवंबर में (SUSA) ने यूनिवर्सिटी को अपना प्रपोजल भी दिया था जिसके बाद यह हम फैसला सुनाया गया है इसका नोटिफिकेशन भी जारी हो गया है जिसमें 4 दिसंबर को सिक्किम यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार लक्ष्मण शर्मा ने इस फैसले की घोषणा की है
इस फैसले के बाद हर महीने यूनिवर्सिटी की छात्राएं 1 दिन की मेंस्ट्रुअल लीव (Menstrual Leave) ले सकती हैं और ये लीव परीक्षा के दौरान नहीं लागू की गई है और यूनिवर्सिटी एग्जाम में 75% अटेंडेंस होना चाहिए इस मेंस्ट्रुअल लीव के आधार पर ली गई छुट्टियों के लिए छूट भी दी जाएगी
और इस फैसले से आईटीआई की 100 से ज्यादा राज्य की छात्राओं को फायदा मिलेगा और इससे पहले भी केरल के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) की छात्राओं को हर महीने में 2 दिन की मेंस्ट्रुअल लीव देने की घोषणा 28 नवंबर को की गई थी ।
मेंस्ट्रुअल साइकिल से गुजरना
- मासिक धर्म के दौरान कुछ महिलाओं को इतना भयंकर दर्द होता है जैसे हड्डियों के टूटने जैसा
- रोज के काम करने में ब्लीडिंग के दौरान परेशानियों का सामना करना
- सिर दर्द, उल्टी ,पीठ और पैरों में दर्द का होना
- लगभग 3500 दिन मासिक धर्म के दर्द से जूझना पड़ता है।
- लगभग 500 बार जिंदगी में मेंस्ट्रूअल साइकिल से हर लड़की को सामना करना पड़ता है।
- मासिक धर्म के दौरान छात्राओं को पढ़ने लिखने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है
- 40 % लगभग लड़कियां मासिक धर्म के दौरान स्कूल और कोचिंग भी नहीं जा पाती हैं।
पीरियड्स के दौरान इन देशों में छुट्टी का प्रावधान
- ताइवान
- साउथ कोरिया
- फिलीपींस
- इंडोनेशिया
- जापान
- वियतनाम
- मेक्सिको
- जांबिया
भारत में Gozoop 2017 से पीरियड्स के दौरान महिला कर्मचारियों को छुट्टी दी जा रही है और जरूरत पड़ने पर Gozoop की 76% महिला कर्मचारी द्वारा पीरियड लीव (Menstrual Leave) ली जाती है जामिया में पीरियड्स लीव देने वाली पॉलिसी को मदर्स डे का नाम दिया गया है और जामिया में मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को महीने में
एक छुट्टी दी जाती है कोई भी कानून न होने की वजह से लड़कियों को मासिक धर्म के दौरान कई दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है ऐसे ही एक मामला सामने आया था 2020 में गुजरात के भुज में सहजानंद गर्ल्स इंस्टीट्यूट में लड़कियों को पीरियड्स के दौरान हॉस्टल में बाकी लड़कियों से अलग-अलग रखा जाता था
जिस कारण छात्राओं ने इसका विरोध किया तो 66 छात्राओं को टीचर्स के सामने ही कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया था जिससे यह पता लगाया जा सके की लड़कियों का मासिक धर्म चल रहा है या नहीं ,जब इस मामले की शिकायत की गई तो इंस्टिट्यूट के प्रिंसिपल और चपरासी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
नियम और पॉलिसी नहीं मेंस्ट्रुअल लीव (Menstrual Leave) को लेकर
इसी साल के दौरान महिला कर्मचारियों की मेंस्ट्रूअल लीव (Menstrual Leave) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मॉडल पॉलिसी बनाने को कहा था तब के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि पीरियड लीव पॉलिसी से जुड़ा है इसके लिए अदालत में विचार नहीं किया जा सकता और बेंच ने यह भी कहा कि इससे जुड़े कोई भी नियम बनते हैं
तो यह एक समस्या बन सकती है जिसमें कंपनियां महिला कर्मचारियों को नौकरी पर रखने से बच सकती है ।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
ऐसी लीव मंजूर होने से महिलाओं को काम से अलग कर दिया जाएगा जैसा कि हम नहीं चाहते हैं महिलाओं को ऐसा कोई भी व्यवहार किया जाए ,केंद्र और राज्य को इस मामले में नीति बनाने की आवश्यकता है।
मासिक धर्म के दौरान महिला और ट्रांसवीमेन को 3 दिन की लीव बिना सैलरी कटे काम से छुट्टी देने की सिफारिश करता है मेंस्ट्रुअल हेल्थ प्रोडक्ट्स बिल 2022 के अनुसार ,एक रिसर्च में कहा गया है कि मासिक धर्म की वजह से 40% लड़कियां को स्कूल से छुट्टी लेनी पड़ती है
संविधान के आर्टिकल 15 का सेक्शन 3 में महिलाओं के लिए कोई भी विशेष प्रावधान बनाने की अनुमति देता है लेकिन अब तक देश में मासिक धर्म की छुट्टी (Menstrual Leave) के लिए कानून नहीं बनाया गया और मासिक धर्म के दौरान छुट्टी लेने वाली महिला कर्मचारियों को वेतन को लेकर भी कोई कानून नहीं है
इसी मामले को लेकर कुछ सालों में कॉर्पोरेट एजुकेशनल इंस्टीट्यूट से लेकर सामाजिक फोरमों पर खूब चर्चा की गई वर्ष 2017 में संसद में ‘मेंस्ट्रुएशन बेनिफिट्स बिल’ को भी पेश किया गया था जिसके बाद 2018 में ‘मेंस्ट्रुअल हेल्थ प्रोडक्ट्स बिल’ के नाम से भी बिल आया था फिर इसी नाम से 2022 में भी एक बिल को भी पेश किया गया लेकिन कोई भी बिल सदन से पास होकर कोई भी कानून नहीं बना।