रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन(Vladimir Putin) भारत आने वाले हैं। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पुष्टि की है कि पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है। हालांकि, उनकी यात्रा की निश्चित तारीख अभी तय नहीं हुई है। भारत इस यात्रा की तैयारियों में जुटा हुआ है।
रूसी अंतर्राष्ट्रीय मामलों की परिषद (RIAC) और भारतीय दूतावास के संयुक्त सम्मेलन में लावरोव ने कहा, “अब हमारी बारी है।” उन्होंने यह भी बताया कि 2024 में पीएम मोदी की पहली विदेश यात्रा रूस थी और अब पुतिन भारत आने वाले हैं।
यूक्रेन पर पुतिन(Putin) का नया प्रस्ताव
इस बीच, पुतिन(Vladimir Putin) ने यूक्रेन में नई सरकार के गठन का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने कहा कि शांति संधि से पहले यूक्रेन में नए चुनाव होने चाहिए, जो संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में संपन्न हों। उनका दावा है कि ज़ेलेंस्की की सरकार अब वैध नहीं रही, क्योंकि उनके कार्यकाल की अवधि समाप्त हो चुकी है।
व्लादिमीर पुतिन(Vladimir Putin) ने कहा, “अगर ज़ेलेंस्की अवैध हैं, तो उनकी सरकार भी अवैध है। यूक्रेन में अंतरिम सरकार बननी चाहिए, ताकि लोकतांत्रिक चुनाव कराकर लोगों की भरोसेमंद सरकार बनाई जा सके।” उन्होंने यह भी कहा कि रूस युद्ध में अपने लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
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ज़ेलेंस्की का पलटवार
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने पुतिन के स्वास्थ्य को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि “व्लादिमीर पुतिन जल्द ही मर जाएंगे” और इससे युद्ध खत्म हो जाएगा। ज़ेलेंस्की का यह बयान यूरोप में दिए गए एक इंटरव्यू में आया, जहां उन्होंने अमेरिका और यूरोपीय देशों से पुतिन पर दबाव बनाए रखने की अपील की।
ज़ेलेंस्की ने कहा कि पुतिन सिर्फ यूक्रेन तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि पश्चिमी देशों से सीधा टकराव भी कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका पुतिन को अंतरराष्ट्रीय अलगाव से बाहर निकालने की कोशिश न करे, क्योंकि यह बेहद ख़तरनाक हो सकता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध की स्थिति
रूस ने 2022 में यूक्रेन पर हमला किया था और अब तक करीब 20% यूक्रेनी क्षेत्र पर कब्जा कर चुका है। दोनों देशों के बीच 1,000 किलोमीटर लंबी युद्ध रेखा पर लड़ाई जारी है। रूस लगातार यूक्रेनी बुनियादी ढांचे को निशाना बना रहा है, जबकि कीव रूसी ऊर्जा ठिकानों पर जवाबी हमले कर रहा है।
पुतिन की भारत यात्रा के दौरान इन मुद्दों पर चर्चा की संभावना है। भारत, जो अब तक रूस और पश्चिम के बीच संतुलन बनाए हुए है, इस मुलाकात में अहम कूटनीतिक भूमिका निभा सकता है।