Mamata Banerjee appeals for peace : पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर शुरू हुई हिंसा ने राज्य के कई हिस्सों को अपनी चपेट में ले लिया है। धुलियान और समसेरगंज इलाकों में भड़की हिंसा के बाद अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग बेघर हो चुके हैं।
हिंसा की आग दक्षिण 24 परगना के भांगर तक पहुंच गई, जहां प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तीखी झड़प हुई, कई पुलिस वाहन फूंक दिए गए और कई लोग घायल हो गए।
इस तनावपूर्ण माहौल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी(Mamata Banerjee) ने सोमवार को शांति की अपील की। उन्होंने कहा कि हर नागरिक को लोकतांत्रिक अधिकारों के तहत शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति है, लेकिन कानून हाथ में लेने की इजाजत किसी को नहीं है। Mamata Banerjee ने कहा, “हमें किसी राक्षस की जरूरत नहीं है। कानून की रक्षा के लिए हमारे पास संरक्षक हैं।”
उन्होंने चेताया कि धर्म के नाम पर अधार्मिक खेल नहीं खेला जाना चाहिए और लोगों से उकसावे में न आने की अपील की। उन्होंने कहा, “धर्म का अर्थ है शांति, मानवता और प्रेम। हमें उकसावे से बचना होगा और शांति बनाए रखनी होगी।”
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार संशोधित वक्फ अधिनियम को पश्चिम बंगाल में लागू नहीं करेगी। उन्होंने कहा, “यह कानून केंद्र सरकार का है, न कि राज्य सरकार का। हमने साफ कहा है कि यह कानून हमारे राज्य में लागू नहीं होगा। फिर हिंसा किस बात की?”
मुर्शिदाबाद में हुए दंगों के बाद हजारों लोग अपने घर छोड़कर मालदा जिले के शिविरों में शरण लेने को मजबूर हो गए हैं। धुलियान की रहने वाली लतिका मोंडल जैसी पीड़ित महिलाओं ने बताया कि हिंसा के दौरान उनके घरों में तोड़फोड़ की गई,
सामान लूटा गया और अब वे अनिश्चित भविष्य की ओर देख रही हैं। वहीं घोषपाड़ा की सविता घोष ने बताया कि उनकी दुकान में तोड़फोड़ कर 30,000 रुपये से अधिक का नुकसान किया गया।
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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने हिंसा के पीछे “कट्टरपंथी ताकतों” का हाथ बताया और ममता सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस शिविरों को बंद करवाने का दबाव बना रही है, जबकि लोग अभी भी डरे हुए हैं।
हालांकि, पश्चिम बंगाल पुलिस का कहना है कि हालात सामान्य हो रहे हैं। अब तक 17 लोग अपने घर लौट चुके हैं और बीते 36 घंटों में कोई बड़ी हिंसक घटना दर्ज नहीं हुई है। लेकिन स्थानीय लोग अभी भी भय के साए में जी रहे हैं और बीएसएफ की स्थायी तैनाती की मांग कर रहे हैं।
स्थिति अभी पूरी तरह नियंत्रण में नहीं है, लेकिन सरकार और प्रशासन की ओर से लगातार शांति बहाली की कोशिशें की जा रही हैं।