आलू दुनिया की सबसे ज़्यादा खाई जाने वाली सब्ज़ियों में से एक है। एक औसत अमेरिकी हर साल करीब 50 पाउंड आलू खा लेता है। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर मैरियन नेस्ले के मुताबिक, “आलू असल में न्यूट्रिशियस हैं, लेकिन उन्हें अक्सर हेल्दी सब्ज़ियों की तरह मान्यता नहीं मिलती।”
हाल ही में हार्वर्ड T.H. चान स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ की एक स्टडी, जो BMJ में प्रकाशित हुई, ने बड़ा खुलासा किया है। रिसर्च के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति हफ़्ते में 3 बार फ्रेंच फ्राइज खाता है, तो उसे टाइप-2 डायबिटीज़ का लगभग 20% ज़्यादा ख़तरा होता है। वहीं उबले, बेक्ड या मैश किए आलू ऐसे ख़तरे से नहीं जुड़े हैं।
रिसर्च टीम ने 40 सालों तक 2 लाख से ज़्यादा लोगों का डेटा स्टडी किया। नतीजा साफ़ निकला — समस्या आलू नहीं बल्कि उनका तलने का तरीका है।
डायटीशियन जूलिया ज़ुम्पानो के अनुसार, आलू कार्बोहाइड्रेट और एनर्जी का अच्छा स्रोत हैं। इनमें कई न्यूट्रिएंट्स भी मौजूद हैं। लेकिन जब इन्हें हाई टेम्परेचर पर डीप फ्राई किया जाता है, तो इनकी संरचना बदल जाती है और ये अनहेल्दी कंपाउंड्स छोड़ते हैं। रेस्टोरेंट्स में मिलने वाले फ्राइज में तो आटे, कलरिंग, और एडिटिव्स भी मिलाए जाते हैं, जिससे उनका नुक़सान और बढ़ जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि आलू को डाइट से हटाने की ज़रूरत नहीं है। बल्कि उन्हें उबालकर, बेक करके या हेल्दी तरीक़े से पकाकर खाना बेहतर है। असली दोष सिर्फ़ फ्रेंच फ्राइज का है।