कैसे पंचसत्व लाता है त्योहारों के मौसम में संतुलन – विशेषज्ञ से जानिए
त्योहारों का मौसम रोशनी, मिठाइयों और उत्साह से भरपूर होता है, लेकिन साथ ही यह हमारी दिनचर्या और शरीर के संतुलन को भी बिगाड़ देता है। देर रात तक जागना, भारी भोजन, मीठे पकवान और थकान — सब मिलकर शरीर और मन पर असर डालते हैं। ऐसे में पंचसत्व, जो आयुर्वेद की जड़ों से जुड़ा एक संतुलनकारी तरीका है, हमारी ऊर्जा और सेहत को दोबारा संतुलन में लाने में मदद करता है।
क्या है पंचसत्व?
पंचसत्व, आयुर्वेद में बताए गए पांच तत्वों — पोषण, नींद, गति, श्वास और सजगता (Mindfulness) — पर आधारित एक जीवनशैली का सिद्धांत है। यह हमें याद दिलाता है कि त्योहार मनाना गलत नहीं, पर उसके बाद शरीर को ‘रीसेट’ देना ज़रूरी है।
विभा गौर, जो पंचसत्व की सह-संस्थापक हैं, बताती हैं —
“पंचसत्व शरीर को केवल डिटॉक्स नहीं करता, बल्कि भीतर से ऊर्जा, संतुलन और शांति लौटाता है। जब हम इसे सजगता से अपनाते हैं, तो त्योहारों के बाद की थकान भी धीरे-धीरे खत्म हो जाती है।”
पंचसत्व हर्बल चाय – अंदरूनी डिटॉक्स का सरल तरीका
पंचसत्व हर्बल चाय में ओजस, अग्नि, पाचक, शोधक और मेध्य जैसे तत्वों का मिश्रण होता है, जो पाचन, नींद और ऊर्जा संतुलन में मदद करते हैं। त्योहारों के बाद जब शरीर भारी या सुस्त लगे, तो यह चाय प्राकृतिक डिटॉक्स का काम करती है।
त्योहारों के बाद पाचन सुधारने में मदद
त्योहारों में सबसे ज़्यादा प्रभावित होता है हमारा पाचन। अनियमित समय पर भारी खाना, मिठाइयाँ और देर रात तक जागना – यह सब पेट पर असर डालते हैं।
डॉ. आरुष सभरवाल बताते हैं —
“पंचसत्व शरीर की प्राकृतिक पाचन प्रक्रिया को सक्रिय करता है और भारीपन या गैस जैसी समस्याओं से राहत देता है।”
स्वास्थ्य और इम्यूनिटी को देता है मज़बूती
ठंड का मौसम और भीड़भाड़ वाली जगहें शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर कर देती हैं। पंचसत्व शरीर को भीतर से मज़बूत बनाता है और इम्यून सिस्टम को सपोर्ट करता है। इससे त्योहारों के बाद थकान, सर्दी-जुकाम या सिरदर्द जैसी समस्याएँ कम होती हैं।
मानसिक शांति और ऊर्जा का संतुलन
पंचसत्व सिर्फ शरीर का नहीं, मन का भी संतुलन लौटाता है। योग, ध्यान और सजग श्वास जैसी छोटी-छोटी आदतें मानसिक तनाव को कम करती हैं और एक सकारात्मक ऊर्जा देती हैं। जब शरीर और मन दोनों संतुलित हों, तभी सच्ची खुशी मिलती है।
संतुलन ही असली आनंद है
त्योहारों की मस्ती के बाद थोड़ा ठहरना, हल्का भोजन, पर्याप्त नींद और पंचसत्व जैसी प्राकृतिक देखभाल अपनाना – यही सच्ची ‘सेल्फ-केयर’ है।
क्योंकि असली आनंद तभी है, जब शरीर, मन और आत्मा – तीनों साथ मुस्कुराएँ।