दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के दौरान हुए क्लासरूम निर्माण घोटाले (Classroom Scam) में बड़ी कार्रवाई हुई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पूर्व लोक निर्माण मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज करने की अनुमति दे दी है।
इस मामले में गृह मंत्रालय ने भी अपनी मंजूरी दे दी है, जिससे जांच का रास्ता साफ हो गया है।
Classroom Scam का क्या है पूरा मामला?
यह मामला दिल्ली सरकार द्वारा 193 स्कूलों में 2,405 कक्षाओं के निर्माण में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है। केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने फरवरी 2020 में अपनी रिपोर्ट में लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा किए गए इस निर्माण कार्य में गंभीर अनियमितताएँ उजागर की थीं। रिपोर्ट के अनुसार,
- क्लासरूम निर्माण की लागत में बार-बार बढ़ोतरी की गई।
- स्वीकृत बजट से अधिक व्यय किया गया।
- बिना निविदा जारी किए निर्माण लागत 90% तक बढ़ाई गई।
- 160 शौचालयों की जरूरत थी, लेकिन 1,214 बना दिए गए, जिससे 37 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च हुआ।
कैसे बढ़ी सिसोदिया और जैन की मुश्किलें?
दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय ने वर्ष 2022 में मुख्य सचिव को रिपोर्ट सौंपते हुए इस पूरे घोटाले की विस्तृत जांच की सिफारिश की थी। इसके बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना के माध्यम से गृह मंत्रालय से अनुमति मांगी गई थी। गृह मंत्रालय ने अब इस जांच को मंजूरी दे दी है, जिससे दोनों नेताओं की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
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क्यों थी राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी?
चूंकि यह मामला तत्कालीन मंत्रियों से जुड़ा हुआ था, इसलिए जांच शुरू करने से पहले राष्ट्रपति की स्वीकृति आवश्यक थी। गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति को इस संबंध में रिपोर्ट भेजी थी, जिसे अब मंजूरी मिल गई है।
क्या होगा आगे?
मनीष सिसोदिया पहले से ही कथित शराब घोटाले में आरोपी हैं और जमानत पर बाहर हैं, वहीं सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में फंसे हुए हैं। अब, क्लासरूम घोटाले में भी उन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम-1988 की धारा 17-ए के तहत मुकदमा चलाया जाएगा।
इस नए घटनाक्रम के बाद आम आदमी पार्टी के लिए एक और बड़ा संकट खड़ा हो गया है। AAP के नेताओं ने इन मामलों को राजनीति से प्रेरित बताया है, लेकिन जांच एजेंसियों की सख्ती के चलते दोनों नेताओं की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।