Children’ Mental health : आज के दौर में मोबाइल फोन बच्चों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है, लेकिन जरूरत से ज्यादा स्क्रीन टाइम उनकी मानसिक सेहत (Mental health) पर बुरा असर डाल रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, अत्यधिक मोबाइल उपयोग से बच्चे चिड़चिड़े, गुस्सैल और ध्यान भटकाने वाले बनते जा रहे हैं।
मोबाइल की लत और बढ़ती मानसिक समस्याएं
विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में स्मार्टफोन एडिक्शन तेजी से बढ़ रहा है। पहले जहां सिर्फ 5% बच्चों को इसकी लत थी, वहीं कोरोना के बाद यह आंकड़ा 30% तक पहुंच गया है। ऑनलाइन क्लासेज और डिजिटल एंटरटेनमेंट ने बच्चों को स्क्रीन के प्रति अत्यधिक आकर्षित कर दिया है। इसका नतीजा यह हुआ कि वे मानसिक विकारों की चपेट में आ रहे हैं।
लीलावती अस्पताल, मुंबई के मनोचिकित्सक डॉ. शोरुक मोटवानी बताते हैं कि ज्यादा स्क्रीन टाइम, ट्रॉमा और हिंसा देखने से बच्चों में आक्रामकता, डिप्रेशन और चिंता विकार बढ़ रहे हैं। वहीं, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. समीरा एस राव का कहना है कि स्क्रीन टाइम अधिक होने से बच्चों का मूड स्विंग्स, सिरदर्द और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता प्रभावित हो रही है।
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बच्चों के व्यवहार में बदलाव
बच्चों में स्क्रीन एडिक्शन के कारण कई तरह के व्यवहारिक बदलाव देखे जा रहे हैं, जिनमें शामिल हैं:
- अचानक गुस्सा और चिड़चिड़ापन: जब माता-पिता बच्चों को फोन से दूर करने की कोशिश करते हैं, तो वे गुस्सा करने लगते हैं।
- ध्यान की कमी: ऑनलाइन कंटेंट में अत्यधिक व्यस्त रहने के कारण बच्चे पढ़ाई पर ध्यान नहीं लगा पा रहे हैं।
- सोशल स्किल्स में गिरावट: असल जिंदगी में बातचीत करने की क्षमता कम हो रही है, जिससे वे सामाजिक रूप से अलग-थलग महसूस करने लगे हैं।
- नींद और खानपान की समस्या: देर रात तक स्क्रीन पर समय बिताने से उनकी नींद प्रभावित हो रही है, जिससे मानसिक और शारीरिक विकास पर असर पड़ रहा है।
बच्चों को मोबाइल एडिक्शन से बचाने के उपाय
मनोचिकित्सकों और बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार, अगर समय रहते बच्चों के स्क्रीन टाइम को नियंत्रित नहीं किया गया तो यह गंभीर मानसिक बीमारियों का कारण बन सकता है। इसके लिए माता-पिता को कुछ अहम कदम उठाने चाहिए:
- स्क्रीन टाइम सीमित करें: बच्चों के मोबाइल उपयोग के लिए एक निश्चित समय तय करें और उस पर सख्ती से अमल करें।
- फिजिकल एक्टिविटीज बढ़ाएं: बच्चों को खेलने-कूदने और आउटडोर एक्टिविटीज में शामिल करें ताकि वे डिजिटल दुनिया से बाहर आ सकें।
- परिवार के साथ समय बिताएं: माता-पिता को बच्चों के साथ बातचीत और खेल-कूद में समय बिताना चाहिए ताकि वे मोबाइल पर कम निर्भर रहें।
- रियल वर्ल्ड से जोड़ें: बच्चों को प्रकृति, कला, संगीत और अन्य रचनात्मक गतिविधियों में व्यस्त करें।
- सकारात्मक डिजिटल कंटेंट चुनें: यदि मोबाइल का उपयोग जरूरी है तो बच्चों को शैक्षिक और ज्ञानवर्धक कंटेंट देखने के लिए प्रेरित करें।
- बच्चों के व्यवहार पर नजर रखें: यदि बच्चा गुस्सैल, उदास या अलग-थलग महसूस कर रहा है तो समय रहते विशेषज्ञ की सलाह लें।