भारत के बच्चे पहले से ज़्यादा कम उम्र में डायबिटीज़ के शिकार – क्यों बढ़ रहा है खतरा? डॉक्टर ने बताया सच
भारत में पिछले कुछ सालों में बच्चों में मोटापा और टाइप-2 डायबिटीज़ का खतरा तेजी से बढ़ा है। जो बीमारी कभी 40–50 साल की उम्र में दिखाई देती थी, आज डॉक्टर इसे 8–10 साल के बच्चों में देख रहे हैं। यह बदलाव धीरे-धीरे आया है, लेकिन अब डॉक्टर इसे एक “डायबेसिटी संकट” कह रहे हैं — यानी मोटापा + डायबिटीज़ का साथ में बढ़ना।
क्यों बढ़ रहा है बच्चों में मोटापा और डायबिटीज़?
1. बच्चों की नई डाइट: ज़्यादा कैलोरी, कम पोषण
आज बच्चों को हाई-कैलोरी स्नैक्स, पैक्ड फूड, चिप्स, इंस्टैंट नूडल्स और मीठे ड्रिंक्स बहुत आसानी से मिल जाते हैं।
ये चीजें:
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बहुत तेल, चीनी और नमक वाली
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बेहद addictive
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और पोषण में लगभग शून्य
ऐसी डाइट धीरे-धीरे बच्चों के शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ाती है और वजन तेज़ी से बढ़ता है।
2. स्क्रीन टाइम ने खेलना-कूदना कम कर दिया
ऑनलाइन क्लासेज़, वीडियो गेम, मोबाइल और रील्स ने बच्चों का दिन “बैठकर” बिताने वाला बना दिया है।
इसका असर:
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कम physical activity
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metabolism धीमा
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cravings ज़्यादा
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नींद खराब
इन सबका सीधा असर डायबिटीज़ के खतरे पर पड़ता है।
3. कम नींद अब बच्चों में आम समस्या
आज के बच्चे देर रात तक जागते हैं—कभी पढ़ाई, कभी फोन, कभी टीवी।
कम नींद:
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हार्मोन बिगाड़ती है
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पेट के आसपास चर्बी बढ़ाती है
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इंसुलिन पर असर डालती है
यानी डायबिटीज़ का जोखिम कम उम्र में शुरू हो जाता है।
4. भारतीय बच्चों की जेनेटिक कमजोरी
इंडियन बच्चों का शरीर:
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जल्दी पेट के पास चर्बी जमा करता है
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जल्दी इंसुलिन रेजिस्टेंस विकसित करता है
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कम कैलोरी में भी वजन बढ़ता है
इसी वजह से थोड़ा सा वजन बढ़ना भी उन्हें प्रीडायबिटिक बना सकता है।
5. तनाव और “इमोशनल ईटिंग”
शैक्षणिक दबाव, कम पैरेंट-टाइम और सोशल स्ट्रेस बच्चों में emotional eating बढ़ाते हैं।
ऐसे में बच्चे सबसे पहले जंक फूड, चॉकलेट, चिप्स और मीठे पेय चुनते हैं।
मोटापे से डायबिटीज़ तक की तेजी से बढ़ती यात्रा
आज डॉक्टर 8–12 साल के बच्चों में देख रहे हैं:
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हाई शुगर
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फैटी लिवर
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कम एक्टिविटी
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खराब कोलेस्ट्रॉल
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शुरुआती इंसुलिन रेजिस्टेंस
जो समस्याएँ पहले 20–25 साल में आती थीं, वे अब कुछ ही सालों में आ रही हैं।
माता-पिता को किन संकेतों पर ध्यान देना चाहिए?
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जल्दी थकान
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ज़्यादा भूख या प्यास
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गर्दन/बगल में काली त्वचा
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पेट के आसपास बढ़ती चर्बी
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चिड़चिड़ापन
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बाहर खेलने में रुचि कम
इन संकेतों पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
कैसे रोकें बच्चों में बढ़ती डायबेसिटी?
1. बच्चे को रोज़ 45–60 मिनट outdoor activity
साइकिलिंग, रनिंग, स्किपिंग, कोई भी खेल—बस रोज़ 1 घंटा ज़रूरी है।
2. पैक्ड स्नैक्स की जगह घर के हेल्दी विकल्प
मेवा, दही, फल, अंकुरित दाल, या घर का बना हल्का खाना दें।
3. मीठे ड्रिंक्स घर में न रखें
फ्लेवर्ड मिल्क, कोल्ड ड्रिंक, पैकेट जूस—ये सबसे बड़ा खतरा हैं।
4. सोने का समय फिक्स करें
बच्चे को रात 10 बजे तक सुलाना metabolism के लिए बहुत फायदेमंद है।
5. नियमित हेल्थ चेक-अप
BMI, शुगर और लिपिड प्रोफाइल की समय-समय पर जांच करवाएं।
अच्छी खबर क्या है?
बच्चों में मोटापा और शुरुआती डायबिटीज़ पूरी तरह reversible है—अगर समय पर पहचाना जाए।
सही दिनचर्या, संतुलित भोजन, एक्टिव लाइफ और डॉक्टर की सलाह से बच्चे पूरी तरह सामान्य स्वास्थ्य पा सकते हैं।







