नींद हमें तरोताज़ा करने के लिए होती है, लेकिन क्या कभी आपने सुबह उठकर महसूस किया है कि आपका शरीर दर्द से भरा हुआ है? अगर हाँ, तो इसका कारण सिर्फ़ तनाव या थकान नहीं, बल्कि आपकी सोने की मुद्रा (Sleeping Posture) भी हो सकती है।
AIIMS रायपुर के ऑर्थोपेडिक और स्पोर्ट्स इंजरी सर्जन डॉ. दुश्यंत चौहान के अनुसार, अगर हम अपनी नींद की मुद्रा में थोड़े से बदलाव करें, तो रीढ़ की हड्डी और जोड़ों को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है।
क्यों ज़रूरी है सही मुद्रा में सोना?
सोते समय हमारा शरीर आराम करता है, लेकिन अगर शरीर का alignment गलत हो, तो रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ जाता है। यही दबाव समय के साथ कमर दर्द, गर्दन में जकड़न और जोड़ों की समस्या का कारण बन सकता है।
डॉ. चौहान बताते हैं कि अगर आप साइड होकर सोते हैं, तो घुटनों के बीच एक तकिया रखिए। इससे हिप्स और स्पाइन पर पड़ने वाला तनाव कम होता है।
वहीं अगर आप पीठ के बल सोते हैं, तो घुटनों के नीचे एक छोटा तकिया रखना बहुत फायदेमंद होता है। इससे कमर के निचले हिस्से पर दबाव घटता है।
किन मुद्राओं से बचना चाहिए
सबसे हानिकारक मुद्रा है पेट के बल सोना। इस स्थिति में गर्दन एक तरफ मुड़ जाती है और रीढ़ की प्राकृतिक वक्रता (curve) बिगड़ जाती है। अगर आप इस मुद्रा में सोने के आदी हैं, तो कोशिश करें कि एक पतला तकिया सिर के नीचे और एक छोटा तकिया पेट के नीचे रखें, ताकि शरीर का संतुलन बना रहे।
कुछ उपयोगी सुझाव
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सही गद्दा और तकिया चुनें – न बहुत सख्त, न बहुत मुलायम।
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बहुत ऊँचा तकिया गर्दन को आगे झुका देता है, इससे बचें।
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धीरे-धीरे अपनी नींद की मुद्रा बदलने की आदत डालें।
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अगर किसी मुद्रा में रोज़ दर्द होता है, तो वही असली संकेत है कि वह मुद्रा आपके शरीर के लिए सही नहीं है।
नींद सिर्फ़ आराम का समय नहीं, बल्कि शरीर के पुनर्निर्माण (recovery) का समय भी है। अगर आप सही मुद्रा में सोते हैं, तो सुबह उठते ही ऊर्जा, ताजगी और सुकून महसूस करेंगे।
अस्वीकरण : इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य जागरूकता के उद्देश्य से है। इसे किसी भी तरह से चिकित्सीय सलाह (Medical Advice) के रूप में न लें। किसी भी स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर या योग्य विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।