हम अक्सर सुनते हैं कि शरीर को फिट रखने के लिए उपवास या इंटरमिटेंट फास्टिंग की जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दिमाग और आंखों को भी आराम की जरूरत होती है? आज की डिजिटल लाइफ में हम सुबह उठते ही फोन देखते हैं और रात तक स्क्रीन पर ही नजरें गड़ी रहती हैं – चाहे वह मोबाइल हो, लैपटॉप, टीवी या टैबलेट। यही कारण है कि विशेषज्ञ अब ‘डिजिटल इंटरमिटेंट फास्टिंग’ की सलाह दे रहे हैं।
क्या है डिजिटल फास्टिंग?
जैसे हम शरीर को डिटॉक्स करने के लिए भोजन से कुछ समय का ब्रेक लेते हैं, वैसे ही डिजिटल फास्टिंग का मतलब है – कुछ समय के लिए स्क्रीन से दूर रहना। इस दौरान मोबाइल, टीवी, लैपटॉप जैसी सभी डिजिटल डिवाइस से दूरी बनाई जाती है, ताकि आंखों और दिमाग को आराम मिल सके। यह अभ्यास मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहद जरूरी है।
क्यों जरूरी है यह ब्रेक?
लगातार स्क्रीन देखने से आंखों में थकान, सिरदर्द, नींद न आना, चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। रिसर्च बताती है कि दिन में औसतन 6-8 घंटे लोग स्क्रीन पर बिताते हैं, जो आंखों और मानसिक सेहत के लिए हानिकारक है।
क्या है 20-20-20 रूल?
विशेषज्ञ बताते हैं कि हर 20 मिनट स्क्रीन देखने के बाद 20 फीट दूर किसी वस्तु को कम से कम 20 सेकंड तक देखें। इसे 20-20-20 रूल कहते हैं। यह आंखों पर पड़ने वाले दबाव को कम करता है और थकान घटाता है।
डिजिटल फास्टिंग कैसे करें?
-
दिन में कम से कम 1-2 घंटे मोबाइल और लैपटॉप से दूरी बनाएं।
-
सोने से 1 घंटा पहले स्क्रीन बंद कर दें।
-
वीकेंड या छुट्टियों में आधा दिन डिजिटल डिटॉक्स अपनाएं।
-
परिवार और दोस्तों के साथ ऑफलाइन समय बिताएं।
लाभ क्या मिलते हैं?
नियमित डिजिटल फास्टिंग आंखों की रोशनी को सुरक्षित रखती है, नींद को बेहतर करती है और दिमाग को शांत बनाती है। यह ध्यान, रचनात्मकता और मानसिक ऊर्जा को भी बढ़ाती है।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में यह आदत उतनी ही जरूरी है, जितना सही खानपान और नींद।