बॉम्बे HC का आदेश: कुणाल कामरा को गिरफ्तारी से मिली राहत

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Kunal Kamra

Kunal Kamra Gets Relief From Arrest : कॉमेडियन कुणाल कामरा को महाराष्ट्र के एक विवादास्पद पैरोडी के मामले में काफी राहत मिली है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के संदर्भ में उन्हें गिरफ्तार न करने का आदेश पारित किया है। इस आदेश के तहत मामला सुनवाई पूरी होने तक कोई भी कार्रवाई नहीं की जाएगी।

विवाद का संक्षिप्त इतिहास

Kunal Kamra ने एक शो में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी की थी। शो में उन्होंने एक पैरोडी गाने में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया, जिसके चलते शिवसेना कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम स्थल में तोड़फोड़ कर दी। इसके बाद मुंबई पुलिस ने कामरा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी।

कोर्ट ने राहत का आदेश क्यों दिया?

  • बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला:
    मुंबई पुलिस द्वारा मामले में कार्रवाई के संदर्भ में कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को गिरफ्तार न किया जाए, जब तक कि आदेश के पारित होने का निर्णय नहीं आता।
  • वकीलों की दलील:
    कुणाल कामरा के वरिष्ठ अधिवक्ता नवरोज़ सीरवई ने दावा किया कि प्रवर्तन तंत्र मौलिक अधिकारों के प्रति अनभिज्ञ है। उन्होंने कहा, “हमारे गणतंत्र के 75 वर्षों में हम कमजोर नहीं दिख सकते कि महज एक कविता या स्टैंड-अप कॉमेडी के माध्यम से किसी की आलोचना पर कोई कार्रवाई की जाए।”
    उनके अनुसार, इस मामले में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई अनुचित है और इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रश्न उठता है।

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पुलिस कार्रवाई और मौलिक अधिकार

सरकारी वकील हितेन वेनेगांवकर ने सुझाव दिया कि कलाकारों और स्टैंड-अप कॉमेडियनों को आलोचना के लिए तैयार रहना चाहिए। हालांकि, कामरा के वकील ने यह तर्क दिया कि पुलिस ने लगातार धमकी और गलत कार्रवाई के जरिए इन्हें निशाना बनाया है।
उन्होंने कहा, “यह संविधान के मौलिक अधिकार 19(1)(ए) की गारंटी के विरुद्ध है।”
अदालत ने आदेश सुनाते हुए कहा कि मामले की सुनवाई तब तक जारी रहेगी और तब तक किसी भी गिरफ्तार कार्रवाई से बचा जाएगा।

राजनीतिक संदर्भ और आगामी दावों का माहौल

  • इस विवाद से पहले, फरहान अख्तर और अन्य नेताओं के बीच भी विभिन्न राजनीतिक मुद्दों पर बहस और मतभेद सामने आए हैं।
  • चुनाव प्रचार, राजनीतिक उथल-पुथल और पारंपरिक राजनीतिक दबाव के चलते, कई बार प्रवर्तन तंत्र पर भी सवाल उठे हैं कि क्या मौलिक अधिकारों का सम्मान किया जाता है।

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Priya Parmar

प्रिया परमार, WordWala.com की लेखिका, तीन साल के अनुभव के साथ टेक, हेल्थ, स्पोर्ट्स, सरकारी योजनाएं, करियर और ब्रेकिंग न्यूज़ की जानकारी देती हैं। प्रिया की कोशिश रहती है कि पाठकों को हर खबर सटीक और आसान भाषा में मिले, ताकि वे हर अपडेट से जुड़े रहें।

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